निजीकरण के विरोध में ग्रामीण बैंकों के कर्मचारी/अधिकारी लामबंद, हड़ताल

नई दिल्ली। ग्रामीण बैंकों के कथित निजीकरण के केंद्र सरकार के प्रयासों के खिलाफ ग्रामीण बैंकों के कर्मचारी कल देश भर में धरना देंगे। देश के सभी 56 ग्रामीण बैंकों के अधिकारियों और कर्मचारियों के शीर्ष संगठन ‘ज्वाइण्ट फोरम आफ रुरल बैंक’ ने केंद्रीय वित्त मंत्रलय को हड़ताल पर जाने का नोटिस दिया है।

उन्होंने मंत्रलय को बताया कि कल 27 मार्च को देश भर में ग्रामीण बैंक मुख्यालयों पर कर्मचारी धरना देंगें और 28 अप्रैल को सभी अधिकारी और कर्मचारी हड़ताल पर चले जायेंगें। केंद्र सरकार ने ग्रामीण बैंकों के न्यूनतम आवश्यक पूंजी पांच करोड़ से बढ़ाकर 2000 करोड़ करने और उन्हें बढ़ी हुई आवश्यकता की पूर्ति के लिए बाजार से पूँजी जुटाने की अनुमति देने के अलावा ग्रामीण बैंकों में केंद्र और राष्ट्रीयकृत बैंकों की पूंजी घटाकर 51 फीसदी तक लाने के लिए पिछले दिनों लोकसभा में एक संशोधन विधेयक पारित करा लिया है और इसे राज्यसभा में प्रस्तुत करने की तैयारी चल रही है। ग्रामीण बैंक के अधिकारी और कर्मचारी पिछले दिनों ग्रामीण बैंकों में संशोधित मानव श्रम व्यवस्था लागू करने के नाम पर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के तमाम पदों को समाप्त कर दिये जाने पर भी खासे नाराज हैं।

फिलहाल देश में लगभग 10 हजार दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी संदेशवाहकों के रिक्त पदों पर पिछले 10 सालों से काम कर रहे हैं जिन्हें नियमित करने की मांग सरकार के पास विचाराधीन है। ज्वाइंट फोरम ने आरोप लगाया है कि सरकार पूंजीपतियों और बहुराष्ट्रीय घरानों को फायदा पंहुचाने के लिए ग्रामीण बैंकों में गांव के गरीबों का जमा अरबों रुपया उन्हे सौंपने की साजिश कर रही है और इन्हें ही फायदा पंहुचाने के लिए यह विधेयक लाया जा रहा है। संगठन का कहना है कि यदि सरकार ने कर्मचारियों के इस सांकेतिक विरोध के बाद ग्रामीण बैंकों के निजीकरण की कोशिश बन्द नहीं की तो अधिकारी और कर्मचारी बेमियादी हड़ताल पर चले जायेंगें।