लखनऊ। पिछले लम्बे अरसे से 10 सूत्रीय मांग पत्र को लेकर क्रमिक आंदोलन कर रहे डिप्लोमा इंजीनियर्स महासंघ ने अब आरपार की लड़ाई का फैसला किया है। 2013 से लगातार सरकार से पत्राचार एवं सांकेतिक प्रदर्शन के बाद हुई कई वार्ताओं के बावजूद समुचित निर्णय न होने के कारण महासंघ को मजबूरी में विकास कार्याें में लगे डिप्लोमा इंजीनियर्स को जेल भरो आंदोलन और हड़ताल पर जाने का कठोर निर्णय लेना पड़ा है।
प्रस्तावित हड़ताल से जहाँ अबाध गति से चल रहे विकास कार्यों की रफतार पर असर पड़ेगा, वहीं प्रदेश का विद्युत उत्पादन एवं राजस्व की भी भारी हानि होगी। यह बात आज पत्रकारों से बातचीत में महासंघ के अध्यक्ष इं0 एस0 पी0 मिश्रा, महासचिव इं0 एस0 के0 पाण्डेय औैर राज्य विद्युत परिषद के महासचिव जयप्रकाश ने सामूहिक रूप से कही। उन्होंने कहा कि अगर सरकार 26 से पूर्व इन जायज मांगों का निस्तारण करा दे तो प्रदेश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला डिप्लोमा इंजीनियर्स प्रदेश के विकास में पूरे मनोयोग से अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए कृत संकल्पित है। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों 48 घन्टे के कार्य बहिष्कार, विधान सभा के समक्ष रैली निकालते हुए लक्ष्मण मेला मैदान में प्रर्दशन कर सरकार को अपनी पीड़ा का आभास करा चुका है।
इस दौरान महासंघ के पदाधिकारियों ने बताया कि 10 सूत्रीय मांगों के निराकरण न होने पर महासंघ के बैनर तले 28-29 जनवरी 2015 को सामूहिक अवकाश 27 फरवरी को लखनऊ में प्रान्तीय रैली कर चुका है। अब 26 मार्च से डिप्लोमा इंजीनियर्स महासंघ ने अपनी रणनीति बदलते हुए हड़ताल एवं जेल भरो आन्दोलन साथ-साथ करने का निर्णय लिया है। प्रेस वार्ता में उपस्थित राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन के केन्द्रीय उपमहासचिव इं0 आर0एन0 पाल ने बताया कि इस आन्दोलन में उनकी भी भागीदारी निश्चित की जा चुकी है जिसके चलते 31 मार्च से राज्य विद्युत परिषद के जूनियर इंजीनियर्स संगठन के सामान्य पाली के सदस्य जेल भरो आन्दोलन में एवं हड़ताल में शामिल होगें। जबकि 02 अप्रैल 2015 से शिफ्ट पाली में कार्यरत सभी सदस्य भी इस जेल भरो आन्दोलन में शामिल हो जायेगें।
उ0प्र0 डिप्लोमा इंजीनियर्स महासंघ के प्रान्तीय अध्यक्ष इं0 एस0पी0 मिश्रा ने आगे बताया कि सरकार के तीन वर्’ा के कार्यकाल में डिप्लोमा इंजीनियर्स की लम्बित समस्याओं पर किसी सक्षम स्तर पर वार्ता भी न हो पाने एवं मुख्य सचिव स्तर पर लगातार वार्ताओं की तिथि निर्धारित करके वार्ता स्थगित कर देने से पूरे प्रदेश से उपस्थित डिप्लोमा इंजीनियर्स ने अत्यन्त आक्रोश व्यक्त किया। जबकि 12 फरवरी 2015 को मुख्य सचिव द्वारा अपनी अध्यक्षता में डिप्लोमा इंजीनियर्स से आहूत की गई। दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि वार्ता का कार्यवृत्त 15 दिन बाद जारी हो सका, बाद में जो कार्यवृत्त जारी हुआ उसमें भिन्नता पाई गई। जारी कार्यवृत्त जिसमें मुख्य रूप से अवर अभियन्ताओं को प्रारम्भिक वेतनमान ग्रेड पे रू0 4800 करने में बनी सहमति के अनुरूप समिति गठित न करने तथा अन्य बिन्दुओं पर हुई वार्ता के अनुरूप कार्यवृत्त जारी न करने से भी महासंघ आहत हुआ है।
यही स्थिति निरन्तर अन्य कर्मचारी संवर्गों के साथ भी हो रही है जिसके कारर्ण कर्मचारी संवर्ग का सरकार@शासन के प्रति आक्रोश बढ़ता जा रहा है एवं कर्मचारी संवर्ग एवं सरकार के प्रति अविश्वसनीयता का वातावरण बनता जा रहा है जो कि सीधे टकराव की स्थिति उत्पन्न करता है। प्रेस वार्ता के दौरान संघर्ष समिति के चेयरमैन संघर्ष समिति इं0 एस0डी0 द्विवेदी, इं0 दिवाकर राय कार्यवाहक अध्यक्ष लोक निर्माण विभाग, इं0 ओ0पी0 राय महासचिव सिंचाई सिविल, इं0 वी0के0 वाजपेई अध्यक्ष जल निगम, इं0 आर0पी0 गुप्ता महामंत्री जल निगम, इं0 सुधीर पंवार उपमहासचिव पश्चिम, इं0 सुभाष चन्द्र श्रीवास्तव अध्यक्ष लघु सिंचाई, इं0 श्याम राज सिंह अध्यक्ष कृषि विभाग, इं0 श्रीप्रकाश गुप्ता अध्यक्ष सेतु निगम, इं0 आर0के0 सचान अध्यक्ष, इं0 धर्मेन्द्र प्रकाश महासचिव ग्रामीण अभियंत्रण विभाग, इं0 नील कमल सिंह अध्यक्ष समाज कल्याण, इं0 कमलेश्वर तिवारी अध्यक्ष, इं0 राजीव श्रीवास्तव महासचिव आवास विकास परिषद, इं0 श्रीलाल मण्डल सचिव लखनऊ, इं0 ए0के0 मिश्रा वित्त सचिव उपस्थित थे।
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