भ्रष्ट कर्मचारियों की काली कमाई सीधे राजसात करेगी छग सरकार

रायपुर। बिहार के बाद छत्तीसगढ़ देश का दूसरा राज्य बनने जा रहा है जहां पर भ्रष्ट अफसरों की काली कमाई को सीधे राजसात करने का कानून होगा। विधानसभा के चालू बजट सत्र में भ्रष्टाचार निरोधक कानून को पास कर दिया जाएगा। इसके तहत किसी अधिकारी या कर्मचारी के यहां छापा मारने पर जितनी अनुपातहीन संपत्ति पाई जाएगी, उसको तत्काल सरकार राजसात कर लेगी। वर्तमान कानून के तहत छापा मारने के बाद केवल कोर्ट में चालान पेश करने का अधिकार सरकारी एजेंसी के पास है।

छत्तीसगढ़ के बाद कानून का मसौदा लगभग तैयार है। राज्य के विधि विभाग से नए अधिनियम के प्रारूप को अंतिम रुप दिया जा चुका है। रमन मंत्रिमंडल की मुहर के बाद विधानसभा में अधिनियम को पेश किया जाएगा। संकेत हैं कि नए कानून में काली कमाई करने वाले अफसरों के खिलाफ 28 धाराओं में कड़े प्रावधान किए जा रहे हैं। राज्य में अब तक भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम 1988 के तहत दर्ज प्रकरण भी नए कानून की दायरे में आ जाएंगे।

नजदीकी रिश्तेदारों की संपत्ति पर भी होगी नजर
भ्रष्ट अफसरों की संपत्ति की गणना करने के दौरान उसकी मासिक आय और जब्त संपत्ति के बाजार मूल्य का अंतर निकाला जाएगा। पति-पत्नी, पुत्र-पुत्री के अलावा अन्य नजदीकी लोगों की संपत्ति भी इसके दायरे में आएगी।

ये लोग आएंगे शिकंजे में
सरकारी कर्मचारी-अधिकारी, ग्राम सभा तक के निचले कर्मचारी भी, रिश्वत लेते हुए सीधे पकड़ाने वाले,किसी दूसरे के लिए भ्रष्टाचार करने वाले।

बिहार के बाद सीधी कार्रवाई करने वाला देश का दूसरा राज्य छत्तीसगढ़
एक साल में पूरी करनी होगी प्रक्रिया
संपत्ति राजसात करने की प्रक्रिया पर कोर्ट की अंतिम मुहर लगाने तक के लिए अधिकतम एक साल का प्रावधान नए कानून में किया जा रहा है। यानी वर्तमान कानून के तहत सालों साल तक कानूनी लड़ाई कोई विकल्प नहीं होगा। विशेष न्यायालय के आदेश को 30 दिनों के भीतर हाईकोर्ट चैलेंज करने का भी प्रावधान होगा। साथ ही वर्तमान कानूनों के तहत सात साल तक अधिकतम सजा देने का प्रावधान भी नए कानून में किया जा रहा है।

ऐसे होगी राजसात की कार्रवाई
1. एसीबी, ईओडब्लू अपनी रिपोर्ट सामान्य प्रशासन विभाग को देगा।
2. सामान्य प्रशासन विभाग आय से अधिक संपत्ति का ऐलान करेगा।
3. फिर विशेष न्यायालय में चालान पेश करने की प्रक्रिया होगी।
4. सुनवाई तक संपत्ति किसी को बेची या ट्रांसफर नहीं की जा सकेगी।
5. संपत्ति की निगरानी कोर्ट से नियुक्त प्रशासक द्वारा की जाएगी।
6. आरोपी को कोर्ट में अपना पक्ष रखने का पूरा अवसर मिलेगा।
7. आय से अधिक संपत्ति प्रमाणित होने के बाद न्यायालय द्वारा राजसात की औपचारिकता पूरी की जाएगी और भ्रष्टाचारी अपनी सारी संपत्ति खो देगा।

सीधे राजसात का एक भी प्रकरण नहीं
अविभाजित मध्यप्रदेश में अफसरों की संपत्ति राजसात करने के करीब दर्जनभर मामले हैं। लेकिन सारे प्रकरण लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू के छापों के बाद न्यायालयीन प्रक्रिया पूरी करने के बाद के हैं। सीधे संपत्ति राजसात करने का एक भी प्रकरण नहीं है।