
देवीनवागांव, भोथली, बघमरा, खरथुली, सुंदरा, जगन्नाथपुर, सांकरा, परसोदा, मेड़की, जुंगेरा, हीरापुर, पाररास, नयापारा, करहीभदर, मालीघोरी, कन्नेवाड़ा, सोरर, नेवारीकला, नेवारीखुर्द, दल्लीराजहरा, डौंडीलोहारा, गुरुर, डौंडी, गुंडरदेही क्षेत्र के कई ऐसे गांव हैं जहां के ग्रामीण चिटफंड कंपनियों में राशि निवेश किए हैं लेकिन शिकायत नहीं कर रहे हैं। वे अब तक एजेंटों से जानकारी ले रहे हैं। दिलचस्प तथ्य यह है कि निवेशक चिटफंड कंपनी का पूरा नाम तक नहीं जानते, जिससे वे उम्मीद लगाएं थे कि आने वाले समय में दोगुना, तिगुना राशि मिलेगा। अंग्रेजी वर्णमाला के शब्दों का उच्चारण भी निवेशक नहीं कर पा रहे है। नाम नहीं छपने की शर्त पर निवेशकों का कहना है कि रिश्तेदार, सगे संबंधियों पर भरोसा करके पैसे दिए थे, अब हमें क्या मालूम था कि उनके कंपनी के मुखिया यानि डायरेक्टर पैसा लेकर भाग जाएगा। निवेशक संस्पेंस में है कि पुलिस से शिकायत करें या रिश्तेदार, सगे संबंधियों की बदनामी होगी और न करें तो पैसे मिलने की संभावना रहेगी या नहीं?
ठगी के शिकार ज्यादा, शिकायत कम
जिले में चिटफंड कंपनियों में पैसा इंवेस्ट करने के बाद भी कई निवेशक सामने आकर शिकायत नहीं कर रहे हैं। पुलिस व कोषालय विभाग कार्यालय अधिकारियों की मानें तो चिटफंड कंपनी में जिले के हजारों लोगों ने अपनी मेहनत की कमाई से राशि जमा किए है। लेकिन इसके अनुरूप शिकायत व आवेदन करने के लिए कुछ ही लोग पहुंच रहे हैं। ऐसे में संपत्ति कुर्क करने में दिक्कत आने की बात विभागीय अधिकारी कर रहे है। जब तक खाताधारकों की संख्या नहीं मालूम होगा, तब तक यह अनुमान नहीं लगा पाएंगे कि कितनी राशि लौटाया जाना है। इधर फर्जी कंपनियों की संपत्ति को कुर्क करे की कार्रवाई की तैयारी में जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन जुटा है।
कोषालय ऑफिस व थाने में करना होगा आवेदन
कोषालय अधिकारी एवं एसपी पाल का कहना है कि जिन निवेशकों ने चिटफंड कंपनियों में राशि जमा किए है, वे संबंधित थाना में आवेदन जमा करें। इसके अलावा कोषालय कार्यालय में भी एक प्रति जमा करें ताकि आगे की कार्रवाई नियमानुसार की जा सकें।
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