
आपको बताते चलें अठारह साल भारतीय सेना में कार्य किया। इस दौरान वह ग्लेशियर में भी तैनात किया गया जहाँ हर पल खतरा रहता है। हनुमनथापा की हाल ही में हुई घटना वहां की स्थिति को बहुत कुछ समझने में मदद करती है। शांति सेना में भारत माता की सेवा में भी सच्चिदानंद (सूबेदार) ने कांगो देश में देश की तरफ से भारत का नाम रौशन किया। ऐसे वीर बहादुर सैनिक को जो कभी दुश्मनों से न डरा उसे उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले की महोली तहसील के एसडीएम ने ठोक पीट दिया।
जिस समय सच्चिदानंद कांगो में तैनात थे उस समय वहां लाखों की संख्या में नरसंहार हुआ था। कांगो के हालात बहुत खतरे से भरे और बेहद संवेदी थे। यह जवान हर परिस्थिति से बहादुरी से निपटा कभी इसका मनोबल न तो टूटा और न तो कम हुआ लेकिन आज उसे सब कुछ बदला बदला लग रहा है और वह खुद को असहाय सा पा रहा है।
यहाँ यह बताना जरूरी है वर्तमान में सच्चिदानंद महोली क्षेत्र में बतौर लेखपाल नियुक्त हुए हैं। सेना में कार्य करने वाला यह जांबाज अपनी पूरी ईमानदारी से काम कर रहा था। वहीँ दूसरी ओर महोली के एस डी एम अतुल कुमार लगातार अपनी कार्यशैली के कारण बदनाम होते चले जा रहे हैं। एस डी एम लेखपाल की कार्यशैली से बौखला चुके थे। इधर सच्चिदानंद पी सी एस की परीक्षा देने हेतु अवकाश मागने उनके केबिन में घुसा जिसके बाद सच्चिदानन्द के आरोपों के अनुसार एस डी एम अतुल ने अब फसे हो कहकर सीधे गिरेबान पकड़ कर हाथा पाई की। सच्चिदानंद को कुछ समझ में नहीं आया कि यह सब क्यों हो रहा है। भारत की तरफ से लड़ाई की ट्रेंनिग पाए इस जवान ने संविधान का सम्मान करते हुए कोई मारपीट नहीं की।
इधर जब इस बाबत एसडीएम अतुल से पूछा गया तो उन्होंने खुल कर कहा " मारा है बहुत मारा है और गिरा गिरा कर मारा है।" पिटाई का कारण पूछने पर दबंग एसडीएम अतुल ने कहा कारण न पूंछो। एसडीएम के इस प्रकार के बयान ने मामले को और तूल दे दिया है। इधर इस संबंध में आहत रिटायर सैनिक से बात की गई तो उसका कहना था कि जहाँ देश सेवा का ऐसा इनाम मिलता हो वहां नौकरी से वस्तीफा देना ही ठीक रहेगा। रिटायर फौजी के अनुसार उसे देश की क़ानून व्यवस्था पर पूरा भरोसा है और वह न्याय जरूर पायेगा।
सच्चिदानंद ने बताया कि वह खुद को काफी आहत और बेइज्जत महसूस कर रहा है और पूरा घर भी अस्थिर और परेशान है। इधर बौखलाए एस डी एम के हौसले घटना के बाद से और अधिक बुलंद लग रहे हैं। सोसल मीडिया सहित स्थानीय अखबारों में मामला चर्चा का बड़ा विषय बना हुआ है। उक्त एस डी एम पहले भी क्षेत्र के अखबारों के भ्रष्टाचार के आरोपी रहे हैं। इधर जनता में एस डी एम एक ख़ौफ़नाक अधिकारी की छवि में उभर कर सामने आये हैं।
आपको बताते चलें कि इनके कार्यकाल में झिनकू नामक किसान ने भी हालही में आत्महत्या कर ली थी जिसके बाद शासन ने उसके परिवार आर्थिक सहायता भी दी थी जब्कि वह मरने से पहले एस डी एम से सहायता पाने में असफल रहा था। इसके अलावा अपने नायब तहसील दार पर प्रसन्न होने पर एस डी एम ने उन्हें अपने कार्यालय में नीली बत्ती लगाकर आने की छूट भी खुले आम दे दी थी। इधर उक्त प्रकरण पर कई सामाजिक संगठनों ने भी दुःख व्यक्त किया है। अब सच्चिदानंद को न्याय कब मिलता है यह सवाल उठना लाजमी है।
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