उपस्वास्थ्य केंद्र बने शोपीस, ग्रामीण इलाज को मोहताज

फनवानी। ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार ने उपस्वास्थ्य केंद्र तो खोल दिए हैं जिससे ग्रामीणों को हरसंभव बेहतर ईलाज की सुविधाएं मुहैया कराई जा सकें लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों कोई भी डॉक्टर नौकरी नही करना चाहता जिसके चलते ये उपस्वास्थ्य केंद्र ग्रामीणों के लिए महज प्रदर्शनी बन कर रह गए हैं। 

सिहोरा एवम् मझौली तहसील के ग्रामीण क्षेत्रो में कुम्ही सतधारा, फनवानी, ढ़करवाह  मझौली पड़वार (खितौला), खांड, अमंगवां देवरी, लमकना, सिहौदा, नंदग्राम बरगी, आदि ग्रामों में उपस्वास्थ्य केन्द्रो में लाखों रूपये खर्च करके भवन तो बनवा दिया गया लेकिन इन स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सक ही नही है या कहीं- कहीं पर सिर्फ एक नर्स ही उपस्वास्थ्य केंद्र का संचालन कर रही हैं जिससे ग्रामीण क्षेत्रों की स्वास्थ्य सेवाएं ठप्प पड़ी हुई हैं । ग्रामीणों क्षेत्रों में कोई डॉक्टर नौकरी करने तैयार नही जिसकी वजह से स्वास्थ्य केंद्र ग्रामीणो के लिए महज प्रदर्शनी बन रह गए हैं और सुविधाओं का लाभ नही मिल पा रहा है । ज्ञात हो की इन ग्रामों की दूरी शहरी नगरों से 25 किमी तक की है जिसकी वजह से कई बार मजदूर वर्ग बिना ईलाज के ही दम तोड़ देते हैं ।

जर्जर हो रहे भवन
कुम्ही (सतधारा) के उपस्वास्थ्य केन्द्र में  केवल एक नर्स आैर एक कर्मचारी के ही पदस्थ है यहां पर अस्पताल चल तो रहा है लेकिन किसी जिम्मेदार अधिकारी के न होने की वजह से इनका मरम्मत कार्य नही हो पाता है न तो अस्पताल में पीेने के पानी की व्यवस्था है और बाउंड्री बाल भी छतिग्रस्त हो चुकी है जबकि भवन भी काफी पुराना हो गया है जिसकी वजह से प्लासटर निकलने लगा है और बारिश होते ही छत टपकने लगती है वहीं अस्पताल में कोई भी सफाई कर्मी के न होने से परिसर में गंदगी फैली रहती है । जबकि इस अस्पताल पर आसपास के कई गाँव आश्रित हैं लेकिन स्वास्थ्य सेवाएं न मिलने की वजह से 25 से 30 किमी दूर सिहोरा लेकर जाना पड़ता है। वहीं कुछ स्वास्थ्य केंद्र तो खुलते ही नही हैं ।

झोलाछाप डॉक्टरों की चांदी
इन सभी ग्रामों के उपस्वास्थ्य केन्द्रो में यदि डॉक्टर पदस्थ भी हैं तो वे शहरी क्षेत्रों में अपने प्राइवेट क्लीनिक खोल कर कमाई करने में लगे जिससे ग्रामीणों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं नही मिल पा रहीं । जिसका फायदा झोलाछाप डॉक्टर उठा रहे हैं और मजबूरी में इन डॉक्टरों के पास अशिक्षित ग्रामीण जान जोखिम में डालकर ईलाज करवाते हैं जिससे इन झोलाछाप डॉक्टरों की चांदी है।जहां एक ओर सरकार हर आदमी तक स्वास्थ्य सेवाएं और शिक्षा देने का दावा करती है वहीं इन स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति ठीक इसके विपरीत ही है जिसके चलते ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित रह जाते हैं।